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निरंजनी अखाड़े में महंत वेदानंद गिरी व स्वामी रामानंद गिरी महामंडलेश्वर पद से विभूषित..


रिपोर्ट:- विजित कुशवाहा 

प्रयागराज: महाकुंभ के पावन अवसर पर प्रयागराज स्थित निरंजनी अखाड़े की छावनी में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया, जिसमें महंत वेदानंद गिरी (वृंदावन) और स्वामी रामानंद गिरी (परम विष्णु धाम साधु मढ़ी, संभल, उत्तर प्रदेश) को महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित किया गया। यह समारोह आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें पंच परमेश्वर एवं अनेक संत-महापुरुषों की उपस्थिति रही।

निरंजनी अखाड़े की छावनी में महंत वेदानंद गिरी, स्वामी रामानंद गिरी को महामंडलेश्वर की उपाधि

महामंडलेश्वर की उपाधि का महत्व


इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि यह सम्मान किसी भी संत के अध्यात्मिक योगदान और धार्मिक उत्कृष्टता की पहचान होता है। महंत वेदानंद गिरी और स्वामी रामानंद गिरी द्वारा समाज और धर्म के प्रति किए गए कार्यों को देखते हुए उन्हें यह उपाधि प्रदान की गई है। इस उपाधि से न केवल उनका सम्मान बढ़ा है, बल्कि संत परंपरा और सनातन धर्म की महिमा भी उजागर हुई है।

संतों का कर्तव्य और धर्म प्रचार

इस दौरान महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन अहंकार से मुक्त, विनम्रता और आत्मज्ञान से परिपूर्ण होता है। उनका उद्देश्य भगवान की सेवा और समाज कल्याण करना होता है। उन्होंने कहा कि नवनियुक्त महामंडलेश्वर अपने तपबल से विश्वभर के श्रद्धालु भक्तों का कल्याण करेंगे।

नवनियुक्त महामंडलेश्वरों की प्रतिज्ञा

महंत वेदानंद गिरी और स्वामी रामानंद गिरी ने महामंडलेश्वर पद की गरिमा को बनाए रखने की शपथ ली। उन्होंने कहा कि वे अपने पद की सभी जिम्मेदारियों को पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ निभाएंगे और संत समाज की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने संत महापुरुषों का सदैव सम्मान करने की बात कही।

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