महर्षि भारद्वाज जयंती: प्रयागराज दिवस के तीसरे दिन दुर्लभ चित्रों की प्रदर्शनी 1906 और 1956 के दुर्लभ कुंभ चित्रों ने खींचा ध्यान...
रिपोर्ट:- विजित कुशवाहा
प्रयागराज। महर्षि भारद्वाज जयंती के अवसर पर प्रयागराज विद्वत् परिषद और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को महाकुंभ पर एक विशेष चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यह आयोजन महर्षि भारद्वाज की जयन्ती/प्रयागराज दिवस की श्रृंखला के तीसरे दिन उनके प्रतिमा परिसर में संपन्न हुआ। प्रदर्शनी में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृति विश्वविद्यालय गंगानाथ झा के निदेशक डॉ. ललित त्रिपाठी और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. प्रभाकर नाथ त्रिपाठी मौजूद रहे।
कुंभ की दुर्लभ ऐतिहासिक चित्रों ने मोहा मन
इस प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण 1906 के प्रयागराज कुंभ का दुर्लभ चित्र था, जिसमें महिला सन्यासियों को स्नान करते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा, 1956 के कुंभ मेले के दौरान भगदड़ का एक चित्र भी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया, जिसमें एक नागा साधु लोगों को बचाने का साहसिक कार्य करते हुए नजर आ रहा है। इन दुर्लभ ऐतिहासिक चित्रों ने दर्शकों का ध्यान खींचा और मुख्य अतिथि ने उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की।
अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर्स की तस्वीरें रहीं खास
प्रदर्शनी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त फोटोग्राफर्स रीतेश शुक्ला, बसंत और विवेक सिंह की खींची गई अद्भुत तस्वीरें भी प्रदर्शित की गईं। इन तस्वीरों ने प्रयागराज के विभिन्न ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सामाजिक पहलुओं को जीवंत कर दिया। दर्शकों ने इन तस्वीरों को "बोलती तस्वीरें" करार दिया और उनकी खूबसूरती का आनंद लिया।
विद्वानों और कला प्रेमियों की उपस्थिति
प्रयागराज विद्वव परिषद के समन्वयक वीरेंद्र पाठक के नेतृत्व में इस आयोजन में विद्वानों, फोटोग्राफी प्रेमियों और आम नागरिकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। प्रदर्शनी में संस्कृति, धर्म, और इतिहास के अद्भुत संगम का अनुभव किया गया।
महर्षि भारद्वाज भारतीय संस्कृति के महान प्रतीक
महर्षि भारद्वाज भारतीय संस्कृति और ज्ञान के प्रतीक हैं। उनकी जयंती के अवसर पर यह आयोजन भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और इतिहास को संरक्षित करने और नई पीढ़ी को इसके प्रति जागरूक करने की दिशा में एक अनूठा प्रयास रहा।
मुख्य अतिथि डॉ. ललित त्रिपाठी ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा, "ऐसे आयोजन हमारी धरोहर को सहेजने और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।" डॉ. प्रभाकर नाथ त्रिपाठी ने भी भारतीय संस्कृति और महर्षि भारद्वाज के योगदान पर प्रकाश डाला।
महर्षि भारद्वाज जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित यह चित्र प्रदर्शनी प्रयागराज की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहर को प्रस्तुत करने का एक उत्कृष्ट माध्यम बनी।
कार्यक्रम में जगत नारायण तिवारी राहुल दुबे, विक्रम मालवीय, टी के पांडेय,आरव भरद्वाज, मोहम्मद लईक, नितेश सोनी, विजित कुशवाहा,मोहम्मद शारिक, पंकज शुक्ला, मोहम्मद आरिज़ सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
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